हिन्दू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे जी के जीवन का सच।

हिन्दू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे जी के जीवन का सच।

आदरणीय एवं सम्मानित मित्रों प्रणाम , नमस्कार।

Posted by:Lalsuprasad S. Rajbhar.

17/11/2018.


हिन्दू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आज दिनांक 17 नवंबर 2012 को बाला साहेब ठाकरे जी का निधन हुआ था। बाला साहेब ठाकरे बालासाहेब केशव ठाकरे (२३ जनवरी १९२६ - १७ नवम्बर २०१२)[2] भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के प्रसिद्ध राजनेता थे जिन्होने शिव सेना के नाम से एक प्रखर हिन्दू राष्ट्रवादी दल का गठन किया है।

बाला साहेब  ठाकरे

शिव सेना के संस्थापक और अध्यक्ष

हिंदु हृदय सम्राट

जन्म२३ जनवरी १९२६ 
पुणे,[1] बंबई प्रेसीडेंसी

मृत्यु१७ नवम्बर २०१२

मुंबईराजनीतिक दल -शिव सेना

जीवन संगीनी- मीना ठाकरे

बच्चे - बिन्दुमाधव ठाकरे, जयदेव ठाकरे,
उद्धव ठाकरे

निवास- मुंबई, भारत।

उन्हें लोग प्यार से बालासाहेब भी कहते थे। वे मराठी में सामना नामक अखबार निकालते थे। इस अखबार में उन्होंने अपनी मृत्यु से कुछ दिन पूर्व अपने सम्पादकीय में लिखा था-"आजकल मेरी हालत चिन्ताजनक है किन्तु मेरे देश की हालत मुझसे अधिक चिन्ताजनक है; ऐसे में भला मैं चुप कैसे बैठ सकता हूँ?"

उनके अनुयायी उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते थे।[3]

ठाकरे ने अपने जीवन का सफर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था। पहले वे अंग्रेजी अखबारों के लिये कार्टून बनाते थे। बाद में उन्होंने सन १९६० में मार्मिक के नाम से अपना एक स्वतन्त्र साप्ताहिक अखबार निकाला और अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के राजनीतिक दर्शन को महाराष्ट्र में प्रचारित व प्रसारित किया। सन् १९६६ में उन्होंने शिव सेना की स्थापना की।[4]

मराठी भाषा में सामना के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी भाषा में दोपहर का सामना नामक अखबार भी निकाला। इस प्रकार महाराष्ट्र में हिन्दी व मराठी में दो-दो प्रमुख अखबारों के संस्थापक बाला साहब ही थे।[5] खरी-खरी बात कहने और विवादास्पद बयानों के कारण वे मृत्यु पर्यन्त अखबार की सुर्खियों में बने रहे।[4]

१७ नवम्बर २०१२ को मुम्बई में अपने मातोश्री आवास पर दोपहर बाद ३ बजकर ३३ मिनट पर उन्होंने अन्तिम साँस ली।

बालासाहेब का जन्म २३ जनवरी १९२६ को पुणे में केशव सीताराम ठाकरे के यहाँ हुआ था।[1] उनके पिता केशव चान्द्रसेनीय कायस्थ प्रभू परिवार से थे।[6] वे एक प्रगतिशील सामाजिक कार्यकर्ता व लेखक थे जो जातिप्रथा के धुर विरोधी थे। उन्होंने महाराष्ट्र में मराठी भाषी लोगों को संगठित करने के लिये संयुक्त मराठी चालवाल (आन्दोलन) में प्रमुख भूमिका निभायी और बम्बई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने में १९५० के दशक में काफी काम किया।

बालासाहेब का विवाह मीना ठाकरे से हुआ। उनसे उनके तीन बेटे हुए-बिन्दुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे।[7] उनकी पत्नी मीना और सबसे बड़े पुत्र बिन्दुमाधव का १९९६ में निधन हो गया।[8]

बतौर आजीविका उन्होंने अपना जीवन बम्बई के प्रसिद्ध समाचारपत्र फ्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट के रूप में प्रारम्भ किया। इसके बाद उन्होंने फ्री प्रेस जर्नल की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और १९६० में अपने भाई के साथ एक कार्टून साप्ताहिक मार्मिक की शुरुआत की।[9

१९६६ में उन्होंने महाराष्ट्र में शिव सेना नामक एक कट्टर हिन्दूराष्ट्र वादी संगठन की स्थापना की। हालांकि शुरुआती दौर में बाल ठाकरे को अपेक्षित सफलता नहीं मिली लेकिन अंततः उन्होंने शिव सेना को सत्ता की सीढ़ियों पर पहुँचा ही दिया। १९९५ में भाजपा-शिवसेना के गठबन्धन ने महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाई। हालांकि २००५ में उनके बेटे उद्धव ठाकरे को अतिरिक्त महत्व दिये जाने से नाराज उनके भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और २००६ में अपनी नई पार्टी 'महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना' बना ली। बाल ठाकरे अपने उत्तेजित करने वाले बयानों के लिये जाने जाते थे और इसके कारण उनके खिलाफ सैकड़ों की संख्या में मुकदमे दर्ज किये गये थे।

खराब स्वास्थ्य और मृत्यु।

बाला साहेब को उनके निरन्तर खराब हो रहे स्वास्थ्य के चलते साँस लेने में कठिनाई के कारण २५ जुलाई २०१२ को मुम्बई के लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया।[10] १४ नवम्बर २०१२ को जारी बुलेटिन के अनुसार जब उन्होंने खाना पीना भी त्याग दिया तो उन्हें अस्पताल से छुट्टी दिलाकर उनके निवास पर ले आया गया और घर पर ही सारी चिकित्सकीय सुविधायें जुटाकर केवल प्राणवायु (ऑक्सीजन) के सहारे जिन्दा रखने का प्रयास किया गया।[11] उनके चिन्ताजनक स्वास्थ्य की खबर मिलते ही उनके समर्थकों व प्रियजनों ने उनके मातुश्री आवास पर, जहाँ अन्तिम समय में उन्हें चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया था, पहुँचना प्रारम्भ कर दिया।[12]

तमाम प्रयासों, दवाओं व दुआओं के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और अखिरकार उनकी आत्मा ने १७ नवम्बर २०१२ को शरीर त्याग दिया। चिकित्सकों के अनुसार उनकी मृत्यु हृदय-गति के बन्द हो जाने से हुई।[13][14]

भारत के प्रधानमन्त्री डॉ॰ मनमोहन सिंह ने उनकी मृत्यु पर भेजे शोक-सन्देश में कहा - "महाराष्ट्र की राजनीति में बाला साहेब ठाकरे का योगदान अतुलनीय था। उसे भुलाया नहीं जा सकता।" लोक सभा में प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भी उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट किया।

शिवाजी मैदान पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गयी। इस अवसर पर लालकृष्ण आडवानी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, मेनका गांधी, प्रफुल्ल पटेल और शरद पवार के अतिरिक्त अमिताभ बच्चन, अनिल अंबानी भी मौजूद थे।

 == फिल्म == बालकडू २०१५ की मराठी भाषा की फिल्म है, जो शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के जीवन और उनके आदर्शो से प्रेरित है। इस फिल्म की निर्माता स्वप्ना पाटकर है और अतुल काले द्वारा निर्देशित हैं। इस फिल्म में बालासाहेब की आवाज को उपयोग किया गया है। ठाकरे को श्रद्धांजलि स्वरुप फिल्म को उनके जन्मदिन २३ जनवरी को रिलीज किया गया।बाला साहेब ठाकरे जी पुनः एक बार भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

धन्यवाद।

ऊँ नमः शिवाय।

लालसूप्रसाद यस. राजभर।

17/11/2018.

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