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Showing posts from November, 2018

श्रावस्ती नरेश महाराजा सुहेलदेव पासी नहीं भर थे।

श्रावस्ती नरेश सुहेलदेव पासी नहीं, भर थे । लेखक:  श्री यशवंत श्रीवास्तव। Posted by: Lalsuprasad S. Rajbhar. 01/12/2018. [लेखक -श्री यशवंत श्रीवास्तव , स्वतंत्र भारत लखनऊ ,८ अगस्त १९९६] पाश्चात्य इतिहासकार एलफिंस्टन तथा कावेल ने भारत के इतिहास को अपूर्ण तथा अक्रमिक बताया है / भारतीय इतिहासकार सी ,एन,अय्यर ने कहा है कि भारत के गौरवपूर्ण कार्यों के लिए विश्व के लोग अनभिग्य हैं / भारतीय इतिहास के अपूर्ण तथा अक्रमिक होने के बहुत से कारन हैं / सर्वप्रथम जागरूकता का आभाव रहा है / प्राचीनकाल में यहाँ लेखन कार्य ब्राह्मण वर्ग के जिम्मे था / इस वर्ग का लेखन क्षेत्र दर्शन ,कला ,काव्य ,विज्ञानं तक सिमित हुआ करता था / इतिहास लिखने की आवश्यकता उन्होंने महसूस नहीं की थी / विदेशी संपर्क में आने पर भारत की प्राचीन ऐतिहासिक तथ्यों की छान बीन हुई / तदनुसार इतिहास का जो स्वरुप स्पष्ट हुआ ,उसमें भी अनेक विसंगतियां थीं / अनेक प्राप्त पौराणिक ग्रंथों से प्राचीनकाल के शासकों ,उनकी वंशावलियों ,उनकी शासन व्यवस्था आदि का परिचय मिलाता है ,किन्तु मतों में भिन्नता होने से और तथ्यों के भ्रामक होने से उनकी ग्राह्

Maharaja Veersen Bharashiv Rajbhar

Maharaja Veersen Bharashiv Rajbhar .महाराजा वीरसेन भारशिव राजभर । Posted  by:  Lalsuprasad S. Rajbhar . 22/11/2018. Respected Dears All friends Pranam, Namaskar .   Mathura Naresh Maharaja Veersen Bharishiv Rajbhar was the supreme devotee of Shiva. He was Shiva himself, therefore, he was counted in the eleventh Rudra and in Mahapuraan he was known as Veerabhadra. Maharaj Veersan used to wear Bharishiv Shivling. They could not bear the insult of Lord Shiva. Wherever Maheshwar Shiva was neglected in the auspicious work of Yajna, Maharaj Veerasan Bharishiv or his servants demolished that sacrifice. The proof of the sacrifice of the sacrifice of Prajapati Daksh is evidence. Due to this tendency, Vaishnav started having a deep hostility towards Lord Shiva, and started planning for the destruction of Bharashiv  Whenever the Vaishnavas got the opportunity, they tried to knock down the beats at the force of deceit. Not only this, but also for the destruction of the earth, it has been invo

अय्याश एवम् क्रूर शासक था बाबर ।

अय्याश एवम् क्रूर शासक था बाबर । आदरणीय एवं. सम्मानित. मित्रोँ प्रणाम एवं नमस्कार । Posted  by: Lalsuprasad S. Rajbhar. 22/11/ 2018.   मित्रों बाबर एक क्रूर एवम् अय्याश शासक था। बाबर हिन्दुओं को जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाता था। यूं तो 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के रुप में मनाया जाता है, लेकिन इसी दिन एक ऐसे व्यक्ति का जन्म हुआ, जिसने पहले तो आक्रमण कर भारत को जमकर लूटा और बाद में अपने साम्राज्य की स्थापना कर भारत पर राज किया. जी हां, हम बात कर रहे हैं मुगल साम्राज्य की स्थापना करने वाले बाबर की. यह वही शासक था, जिसे अयोध्या में बाबरी मस्जिद और रामजन्म भूमि विवाद के लिए भी ज़िम्मेदार माना जाता है, तो आईये जरा नजदीक से जानने की कोशिश करते हैं इसके क्रूर किरदार को: कौन था बाबर, जिसने भारत को लूटा? मध्य एशिया के समरकंद राज्य की एक बहुत छोटी सी जागीर फरगना में 1483 ई. में बाबर का जन्म हुआ. इसका ताल्लुक सीधे तौर पर तैमूर से था. बाबर का पिता उमर शेख मिर्जा तैमूर का वंशज था और उसकी माता मुग़ल जाति के विख्यात चंगेज़ ख़ां के वंश में ख़ान यूनस की पुत्री थी. बाबर की नसों में तुर्कों के साथ मंग