श्रावस्ती नरेश महाराजा सुहेलदेव पासी नहीं भर थे।
श्रावस्ती नरेश सुहेलदेव पासी नहीं, भर थे । लेखक: श्री यशवंत श्रीवास्तव। Posted by: Lalsuprasad S. Rajbhar. 01/12/2018. [लेखक -श्री यशवंत श्रीवास्तव , स्वतंत्र भारत लखनऊ ,८ अगस्त १९९६] पाश्चात्य इतिहासकार एलफिंस्टन तथा कावेल ने भारत के इतिहास को अपूर्ण तथा अक्रमिक बताया है / भारतीय इतिहासकार सी ,एन,अय्यर ने कहा है कि भारत के गौरवपूर्ण कार्यों के लिए विश्व के लोग अनभिग्य हैं / भारतीय इतिहास के अपूर्ण तथा अक्रमिक होने के बहुत से कारन हैं / सर्वप्रथम जागरूकता का आभाव रहा है / प्राचीनकाल में यहाँ लेखन कार्य ब्राह्मण वर्ग के जिम्मे था / इस वर्ग का लेखन क्षेत्र दर्शन ,कला ,काव्य ,विज्ञानं तक सिमित हुआ करता था / इतिहास लिखने की आवश्यकता उन्होंने महसूस नहीं की थी / विदेशी संपर्क में आने पर भारत की प्राचीन ऐतिहासिक तथ्यों की छान बीन हुई / तदनुसार इतिहास का जो स्वरुप स्पष्ट हुआ ,उसमें भी अनेक विसंगतियां थीं / अनेक प्राप्त पौराणिक ग्रंथों से प्राचीनकाल के शासकों ,उनकी वंशावलियों ,उनकी शासन व्यवस्था आदि का परिचय मिलाता है ,किन्तु मतों में भिन्नता होने से और तथ्यों के भ्रामक होने से उनकी ग्राह्