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Showing posts from October, 2019

सरदार वल्लभ भाई पटेल लौह पुरुष थे।

सरदार बल्लभ भाई पटेल लौह पुरूष थे।  आदरणीय एवं सम्मानित मित्रों प्रणाम , नमस्कार। Posted by: Lalsuprasad S. Rajbhar. 31/10/2019. मित्रों आज दिनांक 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाद मे  सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म हुआ था।  ऐसे महान स्वत्रंता सेनानी को शत शत नमन। सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष की उपाधि मिली थी ।भारत के राजनीतिक इतिहास में सरदार पटेल के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। देश की आजादी के संघर्ष में उन्होंने जितना योगदान दिया उससे ज्यादा योगदान उन्होंने स्वतंत्र भारत को एक करने में दिया। वह नवीन भारत के निर्माता व राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी थे। देश के विकास में सरदार वल्लभभाई पटेल के महत्व को सदैव याद रखा जायेगा। भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया। उनके कठोर व्यक्तित्व में संगठन कुशलता, राजनीति सत्ता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति अटूट निष्ठा थी। जिस अदम्य उत्साह असीम शक्ति से उन्होंने नवजात गणराज्य की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान किया, उसके कारण विश्

भर/राजभर शासक हिन्दू राष्ट्र रक्षक वीर शिरोमणि श्रावस्ती सम्राट महाराजा सुहेलदेव राजभर जी।

भर/ राजभर शासक।  वीर शिरोमणि हिन्दू राष्ट्र रक्षक श्रावस्ती सम्राट चक्रवर्ती महाराजा सुहेलदेव राजभर जी का पराक्रम गाथा।  वीर शिरोमणि हिन्दू राष्ट्र रक्षक श्रावस्ती सम्राट चक्रवर्ती महाराजा सुहेलदेव राजभर जी का इतिहास भारत देश गौरवपूर्ण एवं साहसपूर्ण , देशभक्त के रूप में अमर रहा है। जिसे भारत देश मे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। महमूद गजनवी भारतदेश को लुटने की दृष्टि से 1001ई0 से लेकर 1025 ई0 तक  17 बार आक्रमण किया।एवं मथुरा, थानसेर, कन्नौज , व सोमनाथ के अति समृद्धशाली मंदिरों को तोड़ने एवं लुटने मे सफल रहा। सोमनाथ मंदिर को लुटने मे महमूद गजनवी का भांजे सैय्यद सालार मसूद  ने भी भाग लिया था। महमूद गजनवी की मृत्यु 1030 ई0 के बाद महमूद  गजनवी के भान्जे सैयद सालार मसूद ने उत्तर भारत में इस्लाम का विस्तार करने एवं हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली थी।  लेकिन 10 जून 1034 ई0 को बहराइच के युद्ध में महाराजा सुहेलदेव राजभर के हाथों से सैय्यद सालार मसूद गाजी मारा गया।  इस्लामी सेना की इस पराजय के कारण पुरे वि्श्व मे ऐसा पराक्रम से भय व्यापत हो गया कि भारतवर्ष में 157 वर्षों तक

एडिसन महान अविष्कारक थे।

एडिसन महान अविष्कारक थे।  Posted by: L. S. Rajbhar. 29/10/2019. थॉमस अल्वा एडिसन इतिहास के महान आविष्कारक थे। एक हजार से ज्यादा आविष्कार तो उनके नाम से पेटेंट है। इसके अलावा भी कई आविष्कार उन्होंने किए। उनके आविष्कारों का अब तक हमारे जीवन पर असर पड़ता है। वह एक उद्यमी भी थे। उन्होंने कई कंपनियों की भी नींव रखी जिनमें से एक जनरल इलेक्ट्रिक है जो आज के समय में दुनिया के सबसे बड़े कॉर्पोरेशनों में से एक है। 18 अक्टूबर, 1931 को वेस्ट ऑरेंज, न्यू जर्सी में उनका निधन हुआ था। एडिसन बचपन से बहरे थे। परन्तु वह ईश्वर मे विश्वास रखते थे। एडिसन कहते थे कि हजारों प्रयोगों के बाद भी सफलता मिलती है तो उन्हें कुछ नया सिखने को मिलता है। ​सब्जी बेचने से टेलिग्राफ ऑपरेटर का सफर थॉमस एडिसन का जन्म 11 फरवरी, 1847 को अमेरिका के एक राज्य ओहियो के मिलान में हुआ था। उनके जन्म के कुछ समय बाद ही उनका परिवार पोरट हुरोन, मिशिगन शिफ्ट हो गया। वहीं उनके बचपन का ज्यादातर समय बीता। स्कूल में एडिसन का नाम लिखाया गया लेकिन पढ़ने में वह ठीक नहीं थे। इसके बाद उनका नाम कटवा दिया गया। मां ने घर पर ही पढ़ाई की व्यवस्था की। क

विजयदशमी या दशहरा का पर्व ।

दशहरा या विजयदशमी का पर्व । आदरणीय एवं सम्मानित मित्रों प्रणाम , नमस्कार । Posted by: Lalsuprasad S. Rajbhar. 08/10/2019.🌹🌹🌷🌷🌿🌿🌿💐💐     आप सभी मित्रजनों को दशहरा पर्व या विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है (दशहरा = दशहोरा = दसवीं तिथि)। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं (जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना आदि)। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा क