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भर/राजभर शासक वीर शिरोमणि हिंदू राष्ट्र रक्षकश्रावस्ती सम्राट महाराजा सुहेलदेव राजभर जी की जीवन गाथा।

भर/ राजभर शासक। वीर शिरोमणि हिन्दू राष्ट्र रक्षक श्रावस्ती सम्राट चक्रवर्ती महाराजा सुहेलदेव राजभर जी का पराक्रम गाथा। वीर शिरोमणि हिन्दू राष्ट्र रक्षक श्रावस्ती सम्राट चक्रवर्ती महाराजा सुहेलदेव राजभर जी का इतिहास भारत देश गौरवपूर्ण एवं साहसपूर्ण , देशभक्त के रूप में अमर रहा है। जिसे भारत देश मे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। महमूद गजनवी भारतदेश को लुटने की दृष्टि से 1001ई0 से लेकर 1025 ई0 तक  17 बार आक्रमण किया।एवं मथुरा, थानसेर, कन्नौज , व सोमनाथ के अति समृद्धशाली मंदिरों को तोड़ने एवं लुटने मे सफल रहा। सोमनाथ मंदिर को लुटने मे महमूद गजनवी का भांजे सैय्यद सालार मसूद  ने भी भाग लिया था। महमूद गजनवी की मृत्यु 1030 ई0 के बाद महमूद  गजनवी के भान्जे सैयद सालार मसूद ने उत्तर भारत में इस्लाम का विस्तार करने एवं हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली थी।  लेकिन 10 जून 1034 ई0 को बहराइच के युद्ध में महाराजा सुहेलदेव राजभर के हाथों से सैय्यद सालार मसूद गाजी मारा गया।  इस्लामी सेना की इस पराजय के कारण पुरे वि्श्व मे ऐसा पराक्रम से भय व्यापत हो गया कि भारतवर्ष में 157 वर्षों त

भर/राजभर शासक वीर शिरोमणि हिंदू राष्ट्र रक्षकश्रावस्ती सम्राट महाराजा सुहेलदेव राजभर जी की जीवन गाथा।

भर/ राजभर शासक। वीर शिरोमणि हिन्दू राष्ट्र रक्षक श्रावस्ती सम्राट चक्रवर्ती महाराजा सुहेलदेव राजभर जी का पराक्रम गाथा। वीर शिरोमणि हिन्दू राष्ट्र रक्षक श्रावस्ती सम्राट चक्रवर्ती महाराजा सुहेलदेव राजभर जी का इतिहास भारत देश गौरवपूर्ण एवं साहसपूर्ण , देशभक्त के रूप में अमर रहा है। जिसे भारत देश मे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। महमूद गजनवी भारतदेश को लुटने की दृष्टि से 1001ई0 से लेकर 1025 ई0 तक  17 बार आक्रमण किया।एवं मथुरा, थानसेर, कन्नौज , व सोमनाथ के अति समृद्धशाली मंदिरों को तोड़ने एवं लुटने मे सफल रहा। सोमनाथ मंदिर को लुटने मे महमूद गजनवी का भांजे सैय्यद सालार मसूद  ने भी भाग लिया था। महमूद गजनवी की मृत्यु 1030 ई0 के बाद महमूद  गजनवी के भान्जे सैयद सालार मसूद ने उत्तर भारत में इस्लाम का विस्तार करने एवं हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली थी।  लेकिन 10 जून 1034 ई0 को बहराइच के युद्ध में महाराजा सुहेलदेव राजभर के हाथों से सैय्यद सालार मसूद गाजी मारा गया।  इस्लामी सेना की इस पराजय के कारण पुरे वि्श्व मे ऐसा पराक्रम से भय व्यापत हो गया कि भारतवर्ष में 157 वर्षों त