भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी निधन एवं जीवनी।

कवि से प्रधानमंत्री तक का सफर अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन ।

 आदरणीय एवं सम्मानित मित्रों प्रणाम, नमस्कार ।

Posted by:.  Shree Lalsuprasad S. Rajbhar.

17/08/2018.

अटल बिहारी वाजपेयी जी का कल दिनांक 16 08/18 नयी दिल्ली एम्स मे शाम   5.05. पर निधन हो गया।अटल बिहारी वाजपेयी जी को आश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि । अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसी शख्सियत है जिन्होनें भारतीय राजनीति के इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। 50 सालों की संसदीय राजनीति, आमतौर पर लोग जितनी उम्र गवा देते हैं खुद को राजनीति में स्थापित करने में । अटल बिहारी वाजपेयी ने उतने साल राजनीति की है।

एक पार्टी बनाना, पार्टी को 2 से 200 तक के आंकड़े पर पहुंचाना, लोकतांत्रिक व्यवस्था में खुद की जमानत बचाने से लेकर, बिखर रही सरकार को बचाना और जनता का समर्थन लेकर पार्टी को फिर से आसमान तक पहुंचाना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन वाजपेयी ने लोकतंत्र की ललाट पर अपने विजय की कहानी खुद लिखी है।

अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन.

वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ। उनके पिता का नाम कृष्णा बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। उनके पिता कृष्णा बिहारी वाजपेयी अपने गाव के महान कवी और एक स्कूलमास्टर थे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ग्वालियर के बारा गोरखी के गोरखी ग्राम की गवर्नमेंट हायरसेकण्ड्री स्कूल से शिक्षा ग्रहण की थी। बाद में वे शिक्षा प्राप्त करने ग्वालियर विक्टोरियाकॉलेज (अभी लक्ष्मी बाई कॉलेज) गये और हिंदी, इंग्लिश और संस्कृत में डिस्टिंक्शन से पास हुए। उन्होंने कानपूर के दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज से पोलिटिकल साइंस में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन एम.ए में पूरा किया। इसके लिये उन्हें फर्स्ट क्लास डिग्री से भी सम्मानित किया गया था।

ग्वालियर के आर्य कुमार सभा से उन्होंने राजनैतिक काम करना शुरू किये, वे उस समय आर्य समाज की युवा शक्ति माने जाते थे और 1944 में वे उसके जनरल सेक्रेटरी भी बने।

1939 में एक स्वयंसेवक की तरह वे राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गये। और वहा बाबासाहेब आप्टे से प्रभावित होकर, उन्होंने 1940-44 के दर्मियान आरएसएस प्रशिक्षण कैंप में प्रशिक्षण लिया और 1947 में आरएसएस के फुल टाइम वर्कर बन गये।

विभाजन के बीज फैलने की वजह से उन्होंने लॉ की पढाई बीच में ही छोड़ दी। और प्रचारक के रूप में उन्हें उत्तर प्रदेश भेजा गया और जल्द ही वे दीनदयाल उपाध्याय के साथ राष्ट्रधर्म (हिंदी मासिक ), पंचजन्य (हिंदी साप्ताहिक) और दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे अखबारों के लिये काम करने लगे।

अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी शादी नही की, वे जीवन भर कुवारे ही रहे। लेकिन वाजपेयी ने एक लड़की नमिता को गोद लिया। नमिता को भारतीय डांस और म्यूजिक में काफी रूचि है। नमिता को प्रकृति से भी काफी लगाव है।

अटल बिहारी वाजपेयी निधनं – Atal Bihari Vajpayee Death

93 साल के उम्र में 16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी वाजपयी जी ने इस दुनिया को छोड़ दिये।

राजनेता के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी – Atal Bihari Vajpayee Political Career

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आजाद भारत की राजनीति का वो चमकता सितारा हैं। जिन्होनें राजनीति के हर दौर को रोशन किया है।

एक दौर था। जब वाजेपयी बोला करते थे। तब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी मुग्ध होकर सुना करते थे। एक दौर आया जब वाजपेयी भारत के विदेश मंत्री बने, बीजेपी संसद में अपना आस्तित्व करीब-करीब खो चुकी थी। तब वाजपेयी के नेतृत्व में  बीजेपी का झंडा देश के सिंहासन पर लहराया।

कौन भूल सकता है। 13 दिनों की सरकार को बचाने की नाकाम कोशिशों के बाबजूद भी वाजपेयी की जोरदार तरकीब। वहीं संसद की दीवारों मे अटल की यादें आज भी ताजा हैं अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के सिर्फ एक नेता ही नहीं हैं वे भारतीय लोकतंत्र के सिर्फ एक प्रधानमंत्री भी नहीं है अटल भारतीय शासन की सिर्फ शख्सियत नहीं है .. बल्कि वो भारत के वो रत्न हैं जिन्होनें राजनीति के इतिहास में एक अमिट कहानी लिखी है ..वाजपेयी  एक विरासत हैं.. एक ऐसी विरासत जिनके इर्द -गिर्द भारतीय राजनीति का पूरा सिलसिला चलता है।

और ये सिलसिला 1957 से शुरु हुआ… जब उन्होनें पहली बार भारतीय संसद में दस्तक दी थी। जब आजाद हिन्दुतान के दूसरे आमचुनाव हुए … जब वाजपेयी भारतीय जनसंघ के टिकट से तीन जगह से खड़े हुए थे। मथुरा में जमानत जब्त हो गई। लखनऊ से भी वे हार गए लेकिन बलराम पुर में उन्हें जनता ने अपना सांसद चुना। और यही उनके अगले 5 दशकों के संसदीय करियर की शुरुआत थी।

आपको बताते चलें कि 1968 से 1973 तक वो भारतीय जन संघ के अध्यक्ष रहे । मोरारजी देसाई के कैबिनेट में वे एक्सटर्नल अफेयर (बाहरी घटना / विवाद) मंत्री भी रह चुके है।

विपक्षी पार्टियों के अपने दूसरे साथियों की तरह उन्हें भी आपातकाल के दौरान जेल भेजा गया। 1977 में जनता पार्टी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया।

इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया और वो इसे अपने जीवन का अब तक का सबसे बेहतरीन पल बताते हैं। 1980 में वो बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे।

1980 से 1986 तक वो बीजेपी के अध्यक्ष रहे और इस दौरान वो बीजेपी संसदीय दल के नेता भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी अब तक नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं।

ख़ासतौर से 1984 में जब वो ग्वालियर में कांग्रेस के माधवराव सिंधिया से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 1962 से 1967 और 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे। 1996 में देश में परिवर्तन की बयार चली और बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं और अटल जी ने पहली बार इस देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया।

हालाकि उनकी यह सरकार महज 13 दिन ही चली। लेकिन 1998 के आमचुनावों में फिर वाजपेयी जी ने  सहयोगी पार्टियों के साथ  लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने।

अटलजी के  इस कार्यकाल में भारत  परमाणुशक्ति-संपन्न राष्ट्र बना। इन्होने पाकिस्तान के साथ कश्मीर विवाद सुलझाने, आपसी व्यापार एवं भाईचारा बढ़ाने को लेकर कई प्रयास किये। लेकिन 13 महीने के कार्यकाल के बाद इनकी सरकार राजनीतिक षडयंत्र के चलते महज एक वोट से अल्पमत में आ गयी।

…जिसके बाद अटल बिहारी जी ने राष्ट्रपति को त्याग पत्र दे दिया और अपने भाषण में कहा कि

“जिस सरकार को बचाने के लिए असंवैधानिक कदम उठाने पड़ें उसे वो चिमटे से छूना पसंद नहीं करेंगे”

इसके बाद 1999 के आमचुनाव से पहले बतौर कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने कारगिल में पाकिस्तान को उसके नापाक कारगुजारियों का करारा जवाब दिया और भारत कारगिल युद्ध में विजयी हुआ।… कालांतर में आमचुनाव हुए और जनता के समर्थन से अटलजी ने सरकार बनाई। प्रधानमंत्री के रूप में इन्होने अपनी क्षमता का बड़ा ही समर्थ परिचय दिया।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के अन्य प्रमुख कार्य – Important work of Atal Bihari Vajpayee

11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया।19 फ़रवरी 1999 कोपाकिस्तान से अच्छे संबंधों में सुधार की पहल करतें हुए सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस की सेवा शुरू की गई।स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजनाकावेरी जल विवाद को सुलझाया, जो 100 साल से भी ज्यादा पुराना विवाद था।संरचनात्मक ढाँचे के लिये बड़ा कार्यदल, विद्युतीकरण में प्रगति लाने के लिये केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, आदि का गठन किया।देश के सभी हवाई अड्डों एवं राष्ट्रीय राजमार्गोंका विकास किया; कोकण रेलवे तथा नई टेलीकॉम नीति की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने जैसे कदम उठाये।आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, भी गठित कीं। जिस वजह से काफी जल्दी काम होने लगे।अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त करके आवास निर्माण को प्रोत्साहन दिया।उन्होंने बीमा योजना की भी शुरवात की जिस वजह से ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगोंको (NRI) काफी फायदा हुआ।

अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक सफर पर एक नजर

जन संघ और बीजेपी

1951 में अटल जी भारतीय जन संघ के संस्थापक सदस्य के रूप में चुने गए।1968 से 1973 तक वो भारतीय जन संघ के अध्यक्ष रहे। विपक्षी पार्टियों के अपने दूसरे साथियों की तरह उन्हें भी आपातकाल के दौरान जेल भेजा गया।1977 में जनता पार्टी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया और वो इसे अपने जीवन का अब तक का सबसे अच्छा पल बताते हैं।1980 में वो बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे. 1980 से 1986 तक वो बीजेपी के अध्यक्ष रहे और इस दौरान वो बीजेपी संसदीय दल के नेता भी रहे।

सांसद से प्रधानमंत्री

अटल बिहारी वाजपेयी अब तक नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं।

1962 से 1967 और 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे।

16 मई 1996 को वो पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 31 मई 1996 को उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। उनकी यह सरकार महज 13 दिन ही चली।

इसके बाद 1998 तक वो लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे।

1998 के आमचुनावों में सहयोगी पार्टियों के साथ उन्होंने लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने लेकिन AIDMK  द्वारा गठबंधन से समर्थन वापस ले लेने के बाद उनकी सरकार गिर गई और एक बार फिर आम चुनाव हुए.

1999 में हुए चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साझा घोषणापत्र पर लड़े गए और इन चुनावों में वाजपेयी के नेतृत्व को एक प्रमुख मुद्दा बनाया गया । गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ और वाजपेयी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली।

अटलजी की इस सरकार ने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया और इस माध्यम से उन्होंने देश में गठबंधन की राजनीति को नया आयाम दिया। इन 5 सालों में राजग सरकार ने गरीबों, किसानों और युवाओं के लिए अनेक योजनाएं लागू कीं।

अटल सरकार ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की और दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। 2004 में देश में लोकसभा चुनाव हुआ और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शाइनिंग इंडिया का नारा देकर चुनाव लड़ा।

इन चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र की सरकार बनायी और भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा।

इसके बाद लगातार अस्वस्थ रहने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से संन्यास ले लिया। अटल जी ने भारतीय राजनीति का आयाम स्थापित किया है। जो कि हमेशा याद किया जाएगा …

अटल जी को देश-विदेश में अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

25 दिसम्बर 2014 को राष्ट्रपति कार्यालय में अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारत का सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न” दिया गया (घोषणा की गयी थी)। उन्हें सम्मान देते हुए भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी खुद 27 मार्च 2015 को उनके घर में उन्हें वह पुरस्कार देने गये थे। उनका जन्मदिन 25 दिसम्बर “गुड गवर्नेंस डे” के रूप में मनाया जाता है।

वाजपेयी उनकी कविताओ के बारे में कहते है की,

“मेरी कविताये मतलब युद्ध की घोषणा करने जैसी है, जिसमे हारने का कोई डर न हो। मेरी कविताओ में सैनिक को हार का डर नही बल्कि जीत की चाह होगी। मेरी कविताओ में डर की आवाज नही बल्कि जीत की गूंज होगी।”

अटल बिहारी वाजपेयी के अवार्ड – Atal Bihari Vajpayee Awards

1992 : पद्म विभूषण1993 : डी.लिट (डॉक्टरेट इन लिटरेचर), कानपूर यूनिवर्सिटी1994 : लोकमान्य तिलक पुरस्कार1994 : बेस्ट संसद व्यक्ति का पुरस्कार1994 : भारत रत्न पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड2015 : भारत रत्न2015 : लिबरेशन वॉर अवार्ड (बांग्लादेश मुक्तिजुद्धो संमनोना)

अटल बिहारी वाजपेयी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि।

लालसूप्रसाद यस. राजभर ।

17/08/2018.

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