भर /राजभर जाति का ओबीसी आरक्षण कोटे का वर्गीकरण ।

भर/राजभर आरक्षण मे ओबीसी आरक्षण कोटे का वर्गीकरण।

22/09/2018.

मैं पहले भी बता चुका हूं कि राजभर जाति एक लड़ाकू  एवम् शूरवीर जाति हैं।पुर्व प्रधानमंत्री  माननीय  विश्वनाथ प्रताप सिंह जी  मंडल कमीशन आयोग 1994 मे लागू करके ओबीसी आरक्षण कोटे मे बहुत सी जातियों को आरक्षण  दियें। इसमें राजभर जाति को भी ओबीसी आरक्षण कोटे में जगह मिली ।मंडल कमीशन लागू करने का पूरा श्रेय पुर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ  सिंह को जाता है । इसलिए विश्वनाथ प्रताप सिंह जी की कुर्सी भी चली गई ।

उत्तर प्रदेश में  पुर्व मुख्यमंत्री कुमारी मायावती जी ने अनुसूचित जाति को 21% आरक्षण मे व्यवस्था की थीं।  अब उत्तर प्रदेश में मौजूद  अनुसूचित जनजाति के लिए केवल 1. 5% आरक्षण व्यवस्था इस समय मौजूद है । जबकि जनजाति या घूंमतू  जाति मे संविधान में आरक्षण नहीं है। जनजाति या घूंमतू जाति मे केवल शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है। आज के समय में राजभर कोई घूंमतू जाति नहीं है । यह बात राज्य सरकार को अच्छी तरह से मालूम है । आइए एक नजर डालते हैं आरक्षण व्यवस्था की ।

1. ओबीसी का आरक्षण कोटा है 27%. जनसंख्या लगभग 60 % से लेकर 65 % है ।

2. अनुसूचित जाति की आरक्षण कोटा 15% है ।

3. अनुसूचित जनजाति की आरक्षण है 7.5 % है ।

अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है  16 %  से लेकर 20%है । एवम् जनरल कोटे की जनसंख्या है  15%  है। जनरल कोटे को सुविधा उपलब्ध है 50. 5% है । ऐसी स्थिति में  केंद्र सरकार एवम् माननीय सुप्रीम कोर्ट को ओबीसी आरक्षण कोटे को जनसंख्या के अनुपात से बढ़ाना चाहिए।जब तक ओबीसी आरक्षण कोटे को नहीं बढ़ाया जायेगा तब तक ओबीसी आरक्षण की समस्या बढ़ती जायेगी ।

अब  सरकार ओबीसी आरक्षण कोटे का वर्गीकरण करना चाहती है । यह एक अच्छा कदम उठाने का प्रयास सरकार कर रही है। अब प्रश्न उठता है कि राजभर समाज को ओबीसी आरक्षण कोटे में सर्वाधिक पिछड़ो मे आरक्षण मिलना उचित है या अनुचित है। मैं समझता हूं कि सबसे उचित कदम सरकार का है। ओबीसी आरक्षण कोटे का वर्गीकरण सबसे उत्तम कदम सरकार का है।

हमारे समाज के कुछ बुद्धजीवियों का कहना है कि SC/ ST यानी अनुसुचित जाति या अनुसूचित जनजाति मे आरक्षण चाहिए है । परंतु संविधान  के आरक्षण कोटे में बैठना चाहिए  कि भर/ राजभर अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति मे परिपक्व है अथवा नहीं है।कुछ लोग जनजाति , विमुक्ति की बात करते हैं । परंतु इसमें संविधान में आरक्षण नहीं है। यदि राजभर क्रिमिनल  एक्ट से दूर जाना चाहती है तो denotified tribes dNTs को भूलना पड़ेगा। आज बहुत कम लोग हैं जो राजभर जाति को क्रिमिनल मानते हैं। अभी राजभर जाति को अच्छी जाति समझते हैं। अंग्रेज़ो द्वारा लगाया गया क्रिमिनल एक्ट को भूलाने एक यही रास्ता है कि सरकार वर्गीकरण का रास्ता अति उत्तम है।

भर/ राजभर जाति एक, संविधान भी एक है । पर विभिन्न प्रदेशों में श्रेणी एवम् सुविधाएं अलग अलग क्यों है। भारत देश में भर/राजभर जाति की यही स्थिति है। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, एवम् मध्यप्रदेश में भर जाति को अनुसूचित जाति मे रखा गया है। परंतु उत्तर प्रदेश में ओबीसी आरक्षण कोटे में रखा गया है। ब्रिटिश शासन काल में भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी भर/राजभर जाति को अभी तक न्याय नहीं मिला है। भर जाति को एक कुटनीतिक के तहत 1971 मे अंग्रेज़ी हुकूमत द्वारा क्रिमिनल  जाति घोषित किया गया। सबसे अधिक उत्पीड़न राजभर जाति का भारत वर्ष में हुआ है। आजाद भारत में 31 अगस्त 1952 क्रिमिनल एक्ट देश प्रथम गृहमंत्री मा. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 147 जातियों के ऊपर से क्रिमिनल टा्इब्स हटा दिये। 26 मार्च 1962 मे जारी शाशना देश
के तहत 25 जातियों को अनुसूचित वर्ग में डाला गया था।जिनमें राजभर जाति का नाम भी था। परंतु राजनीतिक शाजिश की वजह से आज राजभर समाज अनुसूचित जाति से वंचित रहा है।

माननीय अशोक राजभर जी एवं माननीय अनिल राजभर जी और  आपकी टीम का कार्य राजभर समाज के आरक्षण के विषय में बहुत सराहनीय कदम है।हमारे राजभर समाज को आप लोगों से बहुत आशा की किरण जागी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजभर समाज को आरक्षण मिल जायेगा।  ऐसी अपेक्षा आप लोगों से करते हैं।

धन्यवाद ।

जय सुहेलदेव राजभर जी।

लालसूप्रसाद यस. राजभर।

22/09/2018.

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