हमारे समाज का रितरिवाज एवं परंपराओं का वैज्ञानिक महत्व।

हमारे समाज के रिति रिवाज एवम् परम्पराओं का वैज्ञानिक महत्व ।

आदरणीय एवम् सम्मानित मित्रों प्रणाम एवम् नमस्कार ।🌹🌹🌷🌷

Posted by : L.S. Rajbhar.

 
05/05/2020
 

 

 

 

मित्रों हमें हमारे समाज को ध्यान, एवम् सामाजिक सोच की बहुत आवश्यकता है ।हमारी एवं आप सभी लोगों की जिम्मेदारी है कि हम अपने समाज का भविष्य सुन्दर , सुखदायी कैसे हो । यह सब हम सभी लोगों के सोच पर निर्भर करता है। भारतीय संस्कृति मे रीति-रिवाज़ और परम्पराओं का वैज्ञानिक महत्त्व है.जैसे हमारे बुजुर्ग प्रातः उठकर अपने दोनों हाथों को देखते हैं और उसमें ईश्वर का दर्शन करते हैं.धरती पर पैर रखने से पहले धरती माँ को प्रणाम करते हैं क्योंकि जो धरती माँ धन-धान्य से परिपूर्ण करती है ,हमारा पालनपोषण करती है,उसी पर हम पैर रखते हैं.इसीलिए धरती पर पैर रखने से पहले उसे प्रणाम कर उससे माफ़ी मांगतेहैं.अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त में ऐसा प्रसंग  है.

सूर्य ग्रहण  के समय घर से बाहर  न निकलने की परंपरा के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा हुआ है .दरअसल सूर्य ग्रहण के समय सूर्य से बहुत ही हानिकारक किरणें निकलती हैं जो हमें नुकसान पहुंचाती हैं.इसी तरह कहा जाता है  कि हमें सूर्योदय से पहले उठना चाहिए क्योंकि इस समय सूरज की किरणों में भरपूर विटामिन डी होता है और ब्रह्म मुहूर्त में उठने से हम दिनोंदिन तरोताजा रहते हैं और आलस हमारे पास भी नहीं फटकता .

हमारे वेद पुराणों में प्रकृति को माता और इसके हर रूप को देवी -देवताओं का रूप दिया गया है-हमने कुछ पेड़ों को जैसे-बरगद ,पीपल को देवताओं और तुलसी ,नदियों को देवी का रूप दिया है.यह कोई अन्धविश्वास नहीं है बल्कि इसके पीछे बहुत  बड़ा तथ्य छुपा हुआ है .हमारे पूर्वजों  ने  इन्हें देवी-देवताओं का दर्जा इसलिए दिया क्योंकि कोई व्यक्ति किसी की पूजा करता है तो वह कभी भी  उसको नुकसान नहीं पहुंचा सकता .

घर में पूजा पाठ करते समय धूप, अगरवत्ती ,ज्योति जलाते हैं तथा शंख बजाते हैं इन सबके पीछे वैज्ञानिक तथ्य छुपा हुआ है .ऐसा माना जाता है कि शंख बजाने से शंख-ध्वनि जहाँ तक जाती  है वहां तक की वायु से जीवाणु -कीटाणु सभी नष्ट हो जाते हैं .

हमारे यहाँ चारो धाम घूमने की परंपरा है इस परंपरा के पालन करने से हमें देश के भूगोल का ज्ञान होता है ,पर्यावरण के सौंदर्य का बोध होता है और साथ में ये यात्रायें हमारे स्वास्थ्य के लिए भी  लाभकारी हैं क्योंकि इससे हमारा मन प्रसन्न रहता है.

हमारे सभी रीति-रिवाज़ और त्यौहार हमारे संबंधों को मजबूत करते हैं जैसे-रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम को बढ़ाता है.करवाचौथ दाम्पत्य जीवन  में मधुरता लाता है.ऐसे ही छठ में माँ अपने बच्चे की लम्बी उम्र के लिए व्रत करती है.

विदेशी लोग भारत  आकर यहाँ की संस्कृति,रीति-रिवाजों और परम्पराओं को देख रहे हैं और अपना रहे हैं भारतीय संस्कृति से प्रभावित विदेशी पर्यटक मन की शांति के लिए भारत आते हैं और यहाँ आने पर उन्हें एक अजीब से सुकून का अनुभव होता है.

हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता और गुरु के पैर छूने की परंपरा  है माता-पिताऔर बड़ों  को अभिवादन करने से मनुष्य की चार चीजे बढती हैं -आयु, विद्या ,यश और बल.

                अभिवादन शीलस्य नित्यं बृद्ध-उपसेविन:।
                चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं ।।
    
सज्जन और श्रेष्ठ लोगों का अपना एक प्रभा मंडल  होता है और जब हम अपने गुरु और अपने से बड़ों  के पैर छूते हैं तो उसकी कुछ  अच्छाईयां हमारे अंदर भी आ जाती हैं.
       
आज हम अपनी परम्पराएँ और रीति रिवाज भूलते जा रहे हैं और समाज विघटन की और अग्रसर हो रहा है ऐसे में आवश्यकता है की हम अपने रीति-रिवाजों और परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारणों को जाने और उन्हें अपनाकर अपना जीवन सुखमय बनायें.

धन्यवाद।

ऊँ नमः शिवाय ।

जय महाराजा सुहेलदेव राजभर जी ।

लालसूप्रसाद यस. राजभर ।

05/05/2020

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